हेपेटाइटिस वायरस का परिचय ः-
हेपेटाइटिस यह एक ग्रीक शब्द है जो हेपर और आईटिस इन दो शब्द से मिलकर बना है। हेपर का अर्थ होता है यकृत और आईटिस का अर्थ है सूजन, आधुनिक विज्ञान के अनुसार हेपेटाइटिस यह एक विषाणु जन्य रोग है जीस के पांच प्रकार होते है, हेपेटाइटिस- ए, बी, सी, डी, और ई, विश्व की एक तिहाई जनसंख्या के लोग हेपेटाइटिस वायरस से संक्रमित है। इस वायरस का संचारण संक्रमित रक्त या संक्रमित रोगी व्यक्ति के शारिरीक तरल पदार्थो के संपर्क में आ जाने से होता है। यह संक्रामक बिमारी मनुष्यो के अलावा बंदरों के लीवर को भी संक्रमित करती है, जिसकी वजह से लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है।
लक्षण ः-
हेपेटाइटिस या यकृत शोथ के प्रारंभिक लक्षण संक्रमण की वजह से फ्लू के समान होते हैं, जैसे मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, उच्च तापमान (ज़्वर) 38 डिग्री सेल्सियस (100.4 फेरनहाइट) या इससे अधिक, अस्वस्थता महसूस होना, सिरदर्द, कभी-कभी आँखों और त्वचा का पीलापन (अर्थात् पीलिया), क्रोनिक हेपेटाइटिस (पुरानी यानि चिरकालिन या दीर्घकालिन यकृत शोथ) के लक्षणों में शामिल हो सकते है। हर समय थकावट महसूस करना, मानसीक तनाव महसूस करना।
हेपेटाइटिस का आयुर्वेदिक उपचार ः-
पुनर्नवा ः- पुनर्नवा एक बहोत ही दिव्य जड़ी बूटी है। इसकी मदत से हम यकृत और शरीर से जुडी हर समस्या का समाधान कर सकते है। हम इसके पंचांग या मुल के निरंतर इस्तमाल से यकृत की हर प्रकार की समस्या का समाधान कर रोगोका समुल नाश कर सकते है। आयुर्वेद मे इसे अमृत के समान गुण वाली बताया गया है। इसके पंचांग या मुल के चुर्ण को 10 ग्राम लेकर चार कप पानी मे घोल कर मंद आच पर एक चोथाई शेष रहने तक पका ले बस दवाई तयार, इस तरह सुबह दुपहर और शाम बनाकर सेवन करे, इसके निरंतर इसतमाल से हर प्रकार की शारिरीक सुजन, दर्द, त्वचा रोग इ. दुर होती है, पीलीया का समुल नाश होता है, रक्त विकार मिट जाता है। अगर भुक की कमी हो तो इस दवा मे एक ग्राम त्रिकटु चुर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
मकोय ः- पुनर्नवा की तरह ही मकोय भी बहुत गुणकारी औषधिय पैधा है। जादातर इसके पंचांग का प्रयोग दवाई के रूप मे कीया जाता है। पुनर्नवा की तरह ही मकोय के पंचांग का चुर्ण प्रयोग मे लीया जाता है। इसके निरंतर सेवन से निद की कमी, यकृत शोथ, हर प्रकार की सुजन, पीलीया, रक्त विकार, आंखो के रोग, कान का दर्द, मुह के छाले, रुदय रोग, पेट मे पानी भरना जैसी गंभीर बीमारीयो मे उपयोग कीया जाता है।
सत्यनाशी ः- इस पैधे के भी पंचांग का उपयोग यकृत, तिल्ली, रक्त विकार, नेत्र रोग, श्वास रोग, पीलिया, पथरी, पेट मे पानी भरना जैसे रोगो मे पुनर्नवा की तरह ही कीया जाता है। बस इसका स्वाद थोडा कडवा होता है।
भूमि आमला ः- इस पैधे के भी पंचांग का उपयोग यकृत, तिल्ली, रक्त विकार, नेत्र रोग, श्वास रोग, पीलिया, पथरी, पेट मे पानी भरना जैसे रोगो मे पुनर्नवा की तरह ही कीया जाता है। बस इसका स्वाद भी थोडा कडवा होता है।
बेलपत्र ः- इसका उपयोग यकृत, तिल्ली, रक्त विकार, नेत्र रोग, श्वास रोग, पीलिया, पथरी, पेट मे पानी भरना जैसे रोगो मे पुनर्नवा की तरह ही कीया जाता है। यह पुनर्नवा की तरह ही दिव्य और पुजनीय है।
आहार विहार और खान पान ः-
आप उपर दि गइ दवाई यो की मदत से हेपेटाइटिस की पाचो प्रकारो का अपने शरीर से समुल नाश कर सकते है अगर आप अपने आहार विहार पर सही ध्यान दे सके।
अगर आप यकृत शोथ या हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमरीसे ग्रस्त है तो आपको इस बीमारीयो को जड से मीट जाने तक हलके अन्न पदार्थो और साबुत फलो का सेवन हमेशा करना होगा। रोज सबेरे प्रानायाम और सुर्य नमस्कार जैसे योग का अभ्यास करे। हपते मे तीन बार तेल से पुरे शरीर पर मालिश जरूर करे। रोज सुबह खाली पेट हरड के एक या दो चम्मच चुर्ण का सेवन मंदोष्ण एक कप जल के साथ जरूर करे ताकी पेट की सफाई हो सके। हलकी कसरत भी जरूर करे । हमेशा घरमे बने ताजे भोजन का सेवन करे, डीब्बा बंद जीजो का सेवन ना करे।
नोट ः- उपर दि गई औषधियों का सेवन करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले ताकी आपके शरीर के वर्तमान स्थिती के अनुसार दवाईयों का प्रमान नीर्धारीत कीया जा सके और सही परीनाम मिलसके।
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