गेहूं के औषधीय गुण


गेहूं के औषधीय गुण

प्रकृति ने हमारे शरीर, गुण और स्वभाव को द्रुष्टिगत रखते हुए फल, सब्जी, मसाले, द्रव आदि औषधीय गुणों से भरपुर जीवन उर्जा का उत्पादन कीया है। शरीर की भिन्न-भिन्न अंगो और उनकी व्याधियों के लिए यह औषधीय गुणों से भरपुर प्राकृतिक भोज्य पदार्थ ही हमे बेहद उपयोगी साबीत होते है। इन्हीं में से ही एक हैं गेहूं जो अपने दिव्य औषधीय गुणों से भरपुर हैं। इसकी उपयोगिता के कारण ही गेहूं अनाजों में राजा कहलाता है।
            गेहूं भारतीय आहार का एक अविभाज्ज अनाज है। इसमे चर्बी का अंश कम होता है। आयुर्वेद के अनुसार गेहूं मीठा, ठंडा, भारी, चिकना, वायु और पीत्त को दूर करने वाला, कफ और धातु को बढाने वाला, टूटी हड्डी को जोडने वाला, मल को बाहर निकालने वाला, जीवन शक्ति को बढाने वाला और भूक वर्धक होता है।
             गेहूं के हरे, ताजा, कोमल पौंधे का उपयोग शरीर को शोधन करने और उसे स्वस्थ बनाए रखने मे मदत करता है। आयुर्वेद के अनुसार इस पौंधे का सेवन निरंतर सुबह खाली पेट कीया जाए तो कैंसर जैसे भयानक रोग से भी बचा जा सकता है। इसके अलावा भगंन्दर, बवासीर, मधुमेह, पीलिया, सैम्य ज्वर, दमा, खासी आदि रोगो की चिकित्सा गेहुं के ताजे व कोमल पौंधे के रस या काढें के सेवन से संभव है।

विभिन्न रोगों में सहायक ः-
  • कूकर खांसी या काली खांसी ः-  यह रोग बच्चों की श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। गेहूं का निशास्ता, शुद्ध अफीम, बबूल की गोंद, मुलेठी का सत् सब समभाग मिलाकर कूट-पीस कर छान ले जरासा जल मिलाकर चने के बराबर गोलीया बनाले यह योग काली खांसी पर अनुभूत है। एक से दो साल तक के बच्चो को एक गोली सुबह-शाम, दो से चार साल तक के बच्चो को दो गोली सुबह-शाम, चार से आठ साल तक के बच्चो को तीन या चार गोला सुबह-शाम जल के साथ देने से लाभ होता है।
  • बवासीर ः- एक ग्रम गेहूं का क्षार एक कप जल के साथ सुबह-शाम सेवन करने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है। पाच ग्राम  गेहूं के क्षार को बीस ग्रम देसी घि मे खरल कर मलहम तयार कर ले यह मलहम बवासीर के मस्सो पर लगाना लाभदायक होता है।
  • दस्त तथा पेचिश ः- सौंफ का काढ़ा बनाकर छान ले इस काढ़े को गेहुं के आटे मे मिलाकर रोटीया सेक ले इन रोटीयो को चबा चबाकर खाने से दस्त और पेचिश ठीक हो जाती है।
  • जिगर विकार ः- एक ग्रम गेहूं का क्षार देसी गाय के दुध से बने छाछ के साथ गर रोज सेवन कीया जाेय तो जिगर विकार मे लाभदायक होता है।
  • नासीर ः- अगर नाक से खून गिरता हो तो गेहूं के आटे मे दुध और चीनी मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
  • श्वास रोग ः- गेहूं के अंकुरीत बीजो और पालक के हरे पत्तो को पीस कर इसमे गेहु का आटा मिलाकर रोटि बनाकर खाने से श्वांस रोगो मे आराम मिलता है। एक ग्रम गेहूं का क्षार रोगी को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से दमा और श्वास रोग ठीक हो जाता है।
  • पथरी ः- एक ग्रम गेहूं का क्षार रोगी को गुनगुने जल के साथ सुबह-शाम सेवन करने पथरी तुट कर  नीकल जाती है।
  • वीर्य विकार ः- पचास ग्राम गेहू के दानो को दो गीलास पानी मे रात भर भिगोकर रख दे सुबह गेहू को कुचल कर पानी को नीथर ले इस पानी मे मीश्री मिलाकर खाली पेट सेवन करने से वीर्य विकार दूर हो जाता है।
  • कमरदर्द ः- एक ग्राम गेहूं के क्षार को शहद के साथ मिलाकर चाटने से कमर और जोड़ो का दर्द ठीक हो जाता है।
  • खासी ः- गेहूं का क्षार एक भाग और गुड दो भाग दोनो को मिलाकर खरल मे खरल कर ले और एक ग्राम की गोलीयाँ बना ले एक-एक गोली दिनमे तीन बार मुह मे रखकर चूसने से खासी दूर हो जाती है।  

सावधानी ः- गेहूं से बना मैदा पचने मे काफी भारी होता है इसी लीये कमजोर पचनशक्ति वाले लोगों को मैदे से तयार कीये खद्य पदार्थ नही सेवन करने चाहीये। जिन लोगो की पचन शक्ति कमजोर है, दस्त आते है, मल त्याग करते समये खुन गीरता हो, बुखार हो या कीसी को वायु विकार हो उनके लीए गेहूं सेवन करना लाभदायक नही होता है। पहली बार गर्भधारण करने वाली स्त्री के लिए भी गेहूं का सेवन करना हितकारी नहीं होता है।

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