धतूरा



धतूरा भारत मे सबसे अधीक महत्वपूर्ण, पुजनिय वनोवशधी यों मेसे एक हैं धतूरा । भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए पूजा में कुछ विशेष पूजा सामग्री को चढ़ाने का महत्व हैं। इनमें बेलपत्र, सफेद फूलों के साथ धतूरा चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता हैं। बेलपत्र की तरह धतूरा भी शिव को प्रिय बताया गया हैं। हालांकि धतूरा जहरीला फल होता हैं। लेकिन सनातन धर्म से जुड़ा हर वो व्यक्ती यह जानता हैं कि शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल जहर को पीकर ही जगत की रक्षा की हैं । धतूरा  एक पोधा हैं । यह लगभग १ मीटर तक ऊँचा होता हैं । इसके पुष्प काले-सफेद दो रंग के होता हैं । और काले फूल नीली चित्तियों वाले होते हैं । आचार्य चरक ने इसे 'कनक' और सुश्रुत ने 'उन्मत्त' नाम से इसका गोरव किया हैं ।  आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विषचीकीत्सा वर्ग में रखा गया हैं । अल्प मात्रा में इसके विभिन्न भागों के उपयोग से अनेक रोग ठीक कीए जाते हैं ।


            धतूरे  को अन्य भाषाओं में मदन, उन्मत्त, शिवप्रिय, महामोही, कृष्ण धतूरा, खरदूषण, शिवशेखर, सविष, कनक, धुतूरा, सादा धुतूरा, धोत्रा, काला धतूरी, जन्जेलमापिल, ततूर, दतुरम आदि नामो से जाना जाता हैं।  इसके पत्ते बडे डंठल युक्त, नोकदार, अण्डाकृती होते हैं । इसके फूल घंटे के आकार के होते हैं । इसके बीज कालेपन लिए भूरे रंग के, चपटे, खुरदरे और कड़वे होते हैं । इनमे कोई सुगंध नहीं होती, मगर कूटने पर एक प्रकार की उग्र गंध आती हैं ।
              धतूरे के पत्तों का धूँआ दमा शांत करता हैं। तथा धतूरे के पत्तों का अर्क कान में डालने से आँख का दुखना बंद हो जाता हैं। धतूरे की जड सूंघे तो मृगीरोग शाँत हो जाता हैं। धतूरे के कोमल पत्तो पर तेल चुपडे ने और आग पर सेंक कर बालक के पेट पर बाँधे इससे बाल की सर्दी दूर हो जाती हैं। और फोडे पर बाँधने से फोडा अच्छा हो जाता हैं।
              इसके अलावा धतूरे के और औषधिय गुनो के बारेमे जानें गें।

  • लिंग दोष -  5-5 ग्राम धतूरे के बीज और अकरकरा, 3 ग्राम अफीम और 20 ग्राम काली मिर्च को कूट-छानकर उसमें 40 ग्राम खांड़ मिलाकर पानी डालकर उसकी मटर के बराबर गोलियां बनाकर रखदे। 1 गोली सुबह-शाम पानी से लेने से लिंग की इन्द्रियों के दोष दूर होते जाते हैं।
  • पेट में कीड़े -   150 ग्रस्म  मठ्ठे में धतूरे के ताजे पत्तो की 5 बून्दें रस टपका कर सुबह पिया जाए तो दो से तीन दिनों के प्रयोग के बाद ही पेट के कीड़े स्वतः मल के रास्ते मर कर बाहर नीकल जाते हैं ।
  • स्तन की सूजन -  धतूरे के पत्ते के ऊपर पिसी हुई हल्दी लगाले, फिर उसको हल्का सा गर्म करके सूजन वाली जगह पर बांध दे ,दो तीन दिन के प्रयोग करने से ही स्तन की सूजन और दर्द समाप्त हो जाता हैं ।
  • पुराना जुकाम -  धतूरे के बिज 50 ग्राम आधा लीटर पानी में उबाले, जब पानी लगभग 150 ग्राम बच जाये तो उसे आग से उतार कर छान ले । फिर उसमें 50 ग्रस्म मुनाक डाल कर आग पर चढ़ा दे जब सारा पानी सुख जाय तो मनुके को धुप में सुख ले और छोटा आधा चम्मच मुनाक रोज खाये इससे जुकाम आवश्य ठीक हो जायेगा ।
  • गठिया - धतुरे के पत्तो को पीस कर दर्द वाली जगह पर लगानेसे  दर्द और सुजन कम हो जाता हैं। धतूरा गठिया रोग में भी बेहद लाभकारी होता हैं। जोडो मे दर्द होने पर धतूरे के पंचांग का रस निकालकर उसको तिल के तेल में पका लें। जब तेल रह जाए तो छन कर शीशी मे भर ले, जोड़ों और दर्द वाले हिस्सों पर अच्छे से मालिश करने के बाद उसपर धतूरे का पत्ता हलका गरम करके बांध लें। गठिया की समस्या ठीक हो जाएगी।
  • गर्भधारण - धतूरे के फलों का चुर्ण 4 रती की मात्रा को आधा चम्मच गाय के घी और शहद के साथ चाटने से स्त्रियों को गर्भधारण में मदद मिलती हैं।


सावधानी - धतूरा जीवन दाइ होने के साथ-साथ अधीक सेवन से जीवन का नाश करने वाला भी हैं। इस लीये इसका सेवन विधी वत तरीकेसे किया जाना जरूरी हैं। जादाकर तर दवाईयो मे धतूरे के बिजोको शद्ध करके इस्तिमाल मे लाया जाता हैं। धतूरा अधीक सेवन से नशा होता हैं। धतूरे के बीज और पत्ते काफी विशेले होते हैं।धतूरे के अधीक सेवन से मुह,गले,आमाशय में तेज जलन और सूजन पैदा होती हैं। व्यक्ति को तेज प्यास लगती हैं, त्वचा सूख जाती हैं, आंखे लाल हो जती हैं, शरीर का तापमान बढ जाता हैं, चक्कर आने लगते हैं,नाडी कमजोर  होकर अनीयमात चलने लगती हैं। यहां तक की ह्रदय अवरोध होकर मृत्यु तक हो सकती हैं। एसे लक्षन जान कर तुरंत योग्य चिकित्सक की सेवाएं लेनी चाहीए।
          धतूरे की तूलना भांग के बिज से की जाती हैं। शहद, सौंफ, मिर्च धतूरे के दोषों को नष्ट करते हैं। धतुरे की सेवन मात्रा लगभग 4 रती तक होती हैं।


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