माजूफल यह एक फल की तरह दिखने वाला एक नकली फल होता है। यह क्वेर्कस इनफेक्टोरिया नामक एक बाँज (ओक अंग्रेजी मे केहेते है। ) प्रजाति का होता है और यह एक फोडे के रूप में बनता है। सदियों से एशियाई महाद्वीपों में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियो में इन फोडो का उपयोग किया जाता रहा है। मलेशिया में इसे मंजाकानी कहते हैं। इसका उपयोग चमड़े को मुलायम करने और काले रंग की स्याही बनाने में वर्षों से हो रहा है। भारत में इसे माजूफल कहते हैं।
क्वेर्कस इनफेक्टोरिया या बाँज एशिया माइनर का मूल निवासी है। इसकी पत्तियां चिकनी और चमकदार हरी होती हैं। जब ततैया शाखाओं पर छेद कर उनमें अपने अंडे देती है तो इन अंडों से निकलने वाले लार्वा और तने की कोशिकाओं के बीच रासायनिक अभिक्रिया होती है जिसके फलस्वरूप शाखाओं पर फल जैसी गोल-गोल कठोर रचनाएं बन जाती है, जो दिखने में खुरदरी होती हैं। इन फोड़ो को गाल कहते हैं और यही माजूफल है।
इस गाल में अन्य रसायनों के अलावा टैनिन काफी मात्रा में पाया जाता है। भारत में माजूफल का उपयोग दंत मंजन बनाने, दांत के दर्द और पायरिया के उपचार में किया जाता है। इस गाल से मिलने वाला टैनिक एसिड गोल्ड सॉल बनाने के काम आता है। गोल्ड सॉल का उपयोग इम्यूनोसाइटोकेमेस्ट्री में मार्कर के रूप में किया जाता है। वर्तमान में इसका उपयोग खाद्य पदार्थों, दवा उद्योग, स्याही बनाने और धातु कर्म में बड़े पैमाने पर किया जाता है। माजूफल का उपयोग प्रसव के बाद गर्भाशय को पूर्व स्थिति में लाने के लिए भी किया जाता है।
माजूफल की ही तरह फल विशेषण लगाकर उपयोग में लिये जाने वाली दवाइयां। एक (जायफल) तो फल नहीं बीज है। दूसरा (कायफल) छाल है जबकि तीसरा (माजूफल) तो फलनुमा दिखने के बावजूद गाठोजैसी एक विशेष संरचना है। तो हमने देखा कि ये तीन विचित्र चीज़ें हैं, जिनका उपयोग फल कहकर किया जाता है।
विभिन्न रोगों मे माजूफल का प्रयोग
- मलद्वार का बाहर निकलना ( बवासीर ) ः- 200 मिलीलीटर पानी मे 5 ग्राम माजूफल का चुर्ण डाल कर काढ़ा बना ले। इस काढ़े से मल द्वार को धोनेसे मलद्वार का बाहर निकलना और बवासीर का दर्द दूर होता है।
- अंडकोष की सूजन ः- दो चम्मच माजूफल और अश्वगंधा लेकर थोडा पानी डालकर लुग्दी बना ले इसे अंडकोष पर बांधने से सूजन और दर्द मीट जाता है।
- दंतरोग ः- माजूफल का चुर्ण एक ग्राम की मात्रा मे लेकर पीडादाई दंत पर मल कर दोनो दातो के नीचे दबाये रखने से दंत की पीडा समाप्त होकर जल्द ही राहत मील जाती है। माजूफल का उपयोग दंतमंजन के रूप मे भी कीया जाता सकता है, इसके लीये भूनी फिटकारी एक चम्मच, एक सुपारी का क्षार या राख और माजूफल चुर्ण एक चम्मच को मिलाकर रख ले और रोज मंजन करने से दंत रोग मी़ट जाते है।
- आंखों की खुजली ः- छो़टी हरड और माजूफल को सिलवट्टेपर पीस कर अंजन करने से आंखों की खुजली और लालीमा दूर होती है।
- गर्भधारणा ः- श्रुतूकाल समाप्त होने बाद दो चम्मच माजूफल चुर्ण को एक ग्लास गो दुध मे मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से अवश्य लाभ होता है।
- मुंह के छाले ः- माजुफल को सुपारी की तरह कतर कर पान मे डालकर चबाते रहकर थुकते रहने से मुंह के छाले और सफेद दाने मिट जाते है।
- दस्त ः- एक चम्मच माजूफल का चुर्ण पानी मे मिलाकर सुभह-शाम सेवन करने से दस्त से राहत मील जाती है।
- घाव ः- माजूफल को जल के साथ घिसकर जखम पर मलने से घाव सूख जाता है और जल्दी घाव ठीक हो जाता है।
- श्वेतप्रदर ः- आधा चम्मच माजूफल का चुर्ण जल के साथ दिन मे तीन बार सेवन करने से श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है।
- नकसीर ः- जीन के नाक से बार-बार खुन बहने की समस्या होती है वह माजूफल के चूर्ण का नस्य ले इससे नकसीर की बीमारी से राहत मील जाती है।
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