उपवास ( fasting )


उपवास
                    उपवास या व्रत शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये किया जाता है। हमारे शरीर की जो पचनसंस्था प्रणाली होती है, उसे विश्राम देने की जरूरत होती है। ताकि वह उस के विहित कार्य को अधीक से अधिक प्रभावी रूप से कर सके, इससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता हमेशा बनी रहती है। वेदो के अनुसार उपवास को शरीर और मन के शुद्धि का एक आसान जरिया माना गया है।

उपवास के प्रकार -
  1. प्रात: उपवास - इस उपवास में सिर्फ सुबह का नाश्ता नहीं करना होता है सिर्फ दोपहर और शाम 2 बार ही भोजन करना होता है।

  2. अद्धोपवास - इस उपवास मे शाम को भोजन नही कीया जाता और इस उपवास में सिर्फ पूरे दिन में एक ही बार भोजन करना होता है। इस उपवास को शाम का उपवास भी कहा जाता है।

  3. एकाहारोपवास - एकाहारोपवास में एक समय के भोजन में सिर्फ एक ही चीज खाई जाती है, जैसे सुबह के समय सैलेड खाया जाए तो शाम को सिर्फ सब्जी खाई जाती है। दूसरे दिन सुबह को एक तरह का कोई फल और शाम को सिर्फ दूध या छाज आदि।

  4. रसोपवास -  इस उपवास में अन्न तथा फल जैसे ज्यादा भारी पदार्थ नहीं खाए जाते, सिर्फ रसदार फलों के रस अथवा साग-सब्जियों के जूस पर ही रहा जाता है। दूध पीना भी मना होता है, क्योंकि दूध की गणना भी ठोस पदार्थों में की जा सकती है। इसमे अगर दिन भर छाछ का सेवन कीया तो शरीर की शुद्धि अछि तरीके से हो जाती है।

  5. फलोपवास - कुछ दिनों तक सिर्फ रसदार फलों या सबजी आदि पर रहना फलोपवास कहलाता है। अगर फल बिलकुल ही अनुकूल न पड़ते हो तो सिर्फ पकी हुई साग-सब्जियां खानी चाहिए।



  6. दुग्धोपवास - दुग्धोपवास को 'दुग्ध कल्प' के नाम से भी जाना जाता है। इस उपवास में सिर्फ कुछ दिनों तक (दिन में 4-5 बार ) सिर्फ दूध ही पीना होता है।


  7. तक्रोपवास - तक्रोपवास को 'मठ्ठाकल्प' भी कहा जाता है। इस उपवास में जो मठ्ठा लिया जाए, उसमें घी कम होना चाहिए और वो खट्टा भी कम ही होना चाहिए। इस उपवास को कम से कम 2 महीने तक आराम से किया जा सकता है।

8. पूर्णोपवास - बिलकुल साफ-सुथरे ताजे पानी के अलावा किसी और चीज को बिलकुल न खाना पूर्णोपवास कहलाता है। इस उपवास में उपवास से संबंधित बहुत सारे नियमों का पालन करना होता है।

9. साप्ताहिक उपवास - पूरे सप्ताह में सिर्फ एक पूर्णोपवास नियम से करना साप्ताहिक उपवास कहलाता है।

10. लघु उपवास - 3 से लेकर 7 दिनों तक के पूर्णोपवास को लघु उपवास कहते हैं।

11 .कठोर उपवास - जिन लोगों को बहुत भयानक रोग होते हैं यह उपवास उनके लिए बहुत लाभकारी होता है। इस उपवास में पूर्णोपवास के सारे नियमों को सख्ती से निभाना पड़ता है।

12. टूटे उपवास - इस उपवास में 2 से 7 दिनों तक पूर्णोपवास करने के बाद कुछ दिनों तक हल्के प्राकृतिक भोजन पर रहकर दोबारा उतने ही दिनों का उपवास करना होता है। उपवास रखने का और हल्का भोजन करने का यह क्रम तब तक चलता रहता है, जब तक कि इस उपवास को करने का मकसद पूरा न हो जाए।

13. दीर्घ उपवास- दीर्घ उपवास में पूर्णोपवास बहुत दिनों तक करना होता है जिसके लिए कोई निश्चित समय पहले से ही निर्धारित नहीं होता। इसमें 21 से लेकर 50-60 दिन भी लग सकते हैं। अक्सर यह उपवास तभी तोड़ा जाता है, जब स्वाभाविक भूख लगने लगती है अथवा शरीर के सारे जहरीले पदार्थ पचने के बाद जब शरीर के जरूरी अवयवों के पचने की नौबत आ जाने की संभावना हो जाती है। 

कुछ जरूरी नियम -
 जबतक उपवास चल रहा है तब तक निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना अति आवश्यक है।

पानी पीना -
                 उपवास के समय जादातर लोग पुरा दिन कुछ नही खाते इससे हमारी आते खाली हो जाती है। पर हमारी जो पीत्त की थेली थेली होती है उससे हमेशा पीत्त का श्रवन जारी रहता है। जीससे हमरे खली जठर और बडी आतो मे पीत्तका जमाव होता है। इससे हमारे जठर और आतो मे छाले पड सकते है। इसलिये जादा से जादा पीनी पीना चाहीये इससे पीत्त पानी मे घलकर मुत्र मार्ग से शरीर से बाहर नीकल जाता है और शरीर को कुछ हानी नही होती।

विरेचन -
                 उपवास मे दिन मे एक बार विरेचन औषधि ले कर हलके जुलाब होना शरीर के लीये बेहत जरूरी होता है। इससे खली पेट मे वायुदोश को होने से रोका जाता है। इससे कमजोरी, आलस नही होता।

श्रम और व्यायाम -
                 जादा तर लोग अपने कर्मो को छोड कर आराम करते है। पर ये बिल्कुल सही नही है। उपवास करने पर भी आपको अपने दिन कर्मो को करना जरूरी है। इसके साथ हलका सा व्यायाम या योगासन करने से भी विषेश लाभ होता है।

उपचार -
                   अगर आप उपवास करने के दोरान कीसी औषधि का सेवन नही करना चाहीए क्योंकि ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। उपवास के समय और उसके बाद 2 से 4 दिनो तक शरीर बहोत ही नाजुक अवस्था मे होत है। उपवास के दोरान केसा भी रोग होने पर प्रकृतिक उपचार का सहारा लेना चाहिए।

उपवास छोडते समय सावधानिया -
                   उपवास छोडते समय बहुत सावधानी और आत्मसंयम की जरूरत होती है। उपवास काल के  दौरान पाचनशक्ति बहुत ज्यादा कमजोर हो जाती है। इसलिए उपवास को छोडते समय 2 से 4 दिनोतक बहुत ही हलका भोजन खना चाहिए। उसके बाद धिरे-धिरे खोने मे बदलाव कर सकते है। इस तरीके से उपवास करने वाले व्यक्ति के शरार को उपवाके सारे लाभ मील जाते है। उपवास में मांसाहार, शराब, अनाज, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. इसमें केवल फल, सब्जियां, मेवा, दूध, जूस, पानी आदि का ही सेवन करना होता है और करना चाहिए भी।



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