अकरकरा



अकरकरा


 एक एसा पौधा जीसे आयुर्वेद मे अकरकरा के नाम से जाना जता है और यह एक औषधीय पौधे , जिसे एनासीक्‍लूस पायरेथ्रम भी कहा जाता है। यह एक ऐसा पौधा है जो भारतीय आयुर्वेद के साथ-साथ यूनानी और हर्बल दवाओं में पुरुषों की बीमारियों, सामान्य ठंड,  और पायरिया के इलाज के लिए उपयोग मे लाया जाता है। अकरकरा का पौधा अल्जीरिया में सबसे अधिक मात्रा मे पाया जाता है। भारत मे महाराष्ट्र, गुजरात, कष्मीर, आसाम और बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों की उपजाऊ भूमि में कहीं- कहीं उग आता है। यह जादा तर वर्षा के प्रारंभ में ही यह झाड़ीदार पौधा उगना शुरू हो जाता है। अकरकरा का तना रोएंदार और ग्रंथियुक्त होता है। इसकी छाल का रंग मटमैला और स्वाद कडवा होता है। इसके फूल मुंडक आकार के रंग सफेद और बैंगनी और पीला होता है। इसकी जड 8 से 10 सेमी लंबी 1.5 सेमी चौडी और मजबूत और मटमैली होती है। इसके अलग - अलग स्थान पर अलग - अलग नाम से जानते है।


संस्कृत भाषा में :-               आकारकर, आकल्लक
हिंदी भाषा में :-                    अकरकरा
पंजाबी भाषा में :-                 अकरकरा
अरबी भाषा में :-                  अदुक लई, आकिकिहां
मराठी भाषा में :-                 अक्कलकरा
गुजराती भाषा में :-              अकोरकरो  इत्यादि नामों से इस पौधे को जाना जाता है।


                     अकरकरा का रंग ऊपर से काला और अंदर से सफेेद होता है। इसका स्वाद तेज, चरपरा, ठंडा चुनचुनाहट पैदा करने वाला होता है। अकरकरा की प्रकृति गर्म तथा कफ और वातनाशक है। इसके अलावा यह कामोत्तेजक, धातुवर्दक, रक्तशोधक, सुजन कम करने वाला, मुख दुर्गंधनाशक, दंन्त रोग, ह्रदय की दुर्बलता,बच्चों के दात निकलने के समय के रोग, तुतलाहट, रक्तसंचार को बढ़ाने में गुणकारी है। अकरकरा के पौधे को मुख्य रूप से औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।


अकरकरा से रोगो के उपचार ः-

  1 - पक्षाघात ः- 
  •  अकरकरा की जड़ महुए के तेल मे मीलाकर तेल सीध्द करके पक्षाघात वाले स्थान पर मालीश करने से पक्षाघात में लाभ होता है। 
  • अकरकरा की जड़ का चुर्ण आधा ग्राम एक चम्मच शहद मे मीलाकर सुभह-शाम चाटने से पक्षाघात मे लाभ होता है।
  2 - श्वेतकुष्ट ( सफेद दाग ) ः-
  • अकरकरा के पत्तों को पीसकर उनका रस निकाल के सफेद दागों पर मर्दन करने से थोड़े ही दिनों में सफेद दाग मिट जाते है।  
  3 - सिर दर्द  ः-
  • अकरकरा की मुली को हलका-हलका चबाने से सिर की पीडा दुर हो जाती है।
  • आधा ग्राम अकरकरा मुल चूर्ण को बादाम के हलवे के साथ सुबह-शाम सेवन करने से अवश्य लाभ होता है।   
  4 - दंत रोग ः-
  • अकरकरा मुल चूर्ण और भिमसेन कपुर को बराबर मात्रा मे मिलीकर मंजन करने से सभी प्रकार की दंत पीडा दुर हो जाती है।
  • काली मिर्च, अकरकरा, नागरमोथा,माजूफल, गरम तवे पर फूली हूई फिटकारी, सेंधानमक सब समभाग मिलाकर महीम चूर्ण बना ले, इस चूर्ण से रोजाना मंजन करने से दंत संबंधित सभी रोग समूल नष्ट हो जैते है।
  5 - नपुंसकता होने पर ः-
  • अकरकरा का महीम चूर्ण शहद मे मीलाकर मलहम तयार कर ले यह मलहम शिग्न मूंड छोड कर पूरे शिग्न पर लगाकर उपर से पान के पत्ते लपेटनेसे नपुंसकता दुर हो जाती है।
  6 - तुतलापन या हकलाहट ः-
  • अकरकरा 24 ग्राम, तेजपत्ता 24 ग्राम, काली मिर्च चूर्ण 12 ग्राम, एक चम्मच काला नमक ,60 ग्राम काला गुड मिलाकर आधा ग्राम की गोलीया बनाले, इमेसे एक गोली सूबह-शाम चुस-चुस कर खाने से तुतलापन मीट जाता है।
  7 - मंदाग्नि ः-
  • छोटी पीपल और अकरकरा समान मात्रा मे मालाकर महीम चूर्ण बनाकर 4 रती की मात्रा मे शहद के साथ सेवन करने से मंदाग्नि रोग मीट जाता है।
  8 - श्वास रोग ( दमा ) ः-
  • अकरकरा के चूर्ण को कपडे की मदत से छान कर चूर्ण को सूंघने से वसा का अवरोध दूर होकर रोगी को आराम मिलता है।
  • अकरकरा के 50 मिलीलीटर काढ़े मे शहद मिलाकर रोगी को सेवन कराने से दमा ठीक हो जाता है।

  9 - ह्रदय रोग   ः-
  • अर्जुन छाल और अकरकरा चूर्ण समभाग मीलाकर आधा चम्मच की मात्रा को सुबह-शाम सेवन करने से ह्रदय पीडा, घभराहट मे लाभ होता है।
  • अकरकरा, सोंठ और कुलंजन 4 रती की मात्रा को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से ह्रदय रोग मीट जाता है।
  10 - ज्वर ः-
  • अकरकरा की जड के चुर्ण को जैतून के तेल में सिद्ध कर के शरीर पर मलने से पसीना आकर ज्वर उतर जाता है और रोगी को राहत मिलती है।
  • अकरकरा काढ़ा 50 मिली लीटर में 5 मिली लीटर अदरक का रसा मिलाकर लेने से सन्निपात ज्वर में लाभ होता है।

 हानिकारक प्रभाव ः-
               अकरकरा की प्रकृति गर्म होने की वजह से इसका बाह्य अंगो पर अधिक मात्रा में प्रयोग करने पर त्वचा का रंग लाल हो जाता है और उसपर जलन होती है। अगर इसका सेवन आन्तरिक तोर पर जादा मात्रा में करने से दस्त लगना, नाडी की गति बढना, उबाकाई आना, जी मचलना, बेहोशी छाना, रक्तपित्त जैसे आदि दुष्प्रभाव पैदा होते है।



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