मासिक धर्म



जादा तर लडकीयो को मासिक धर्म के बारे मे जादा जानकरी नही हैती और वह किसी और से पुछने से भी कतराती है। जादा तर लडकीयो को मासिक धर्म के बारे मे सीर्फ इतना ही पता होता है की यह सीर्फ महिने मे एक बार तीन दिन या पाच दिनो के लीये ही आती है और बहोत कमजोरी या हलकासा दर्द या सीर दर्द होता है। पर इसके अलावा भी उन्हे जादा से जादा जानकारी देना बडोका फर्ज है। इससे होने वाले फयदे और नुसकान के बारेमे उन्हें पता होना बेहद जरूरी होता है। इससे उन्हे भविष मे होने वाले बडे रोगोसे बचने मे बडी मदत होसकती है।  




   

          जब लड़की या 10 से 15 साल की आयु तक पहुच जाती है तब लड़की यो का अंडाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर देता है। वह अण्डा अण्डवाहिका नलीका के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है, जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचजाता है तब उसका अस्तर रक्त और  तरल पदार्थ से गाढ़ा होने लगता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डापुरूष के शुक्राणु से सम्मिलीत हो तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिंम्ब का पुरूष के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह एक स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, रजोधर्म,पीरियड्स या माहवारी कहते है।



             माहवारी चक्र की शुरवात महीने मे 28 से 32 दिनों में एक बार होती है। हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से लेकर पांच दिन तक रहता है परंन्तु दो से लेकर सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है। इस क्रिया से स्त्रियो का गर्भाशय और प्रजनन संथा शुद्ध और स्वस्थ बनी रहती है और स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहता है।


पीरियड्स सम्बंन्धी समस्याएं
                 ज्यादातर महिलाएं पीरियड्स की समस्याओं से परेशान रहती है लेकिन अज्ञानतावश या फिर शर्म या झिझक के कारण लगातार इस समस्या से जूझती रहती है। पीरियड्स कभी-कभी बहुत ही पीड़ादायी होते है। पीरियड्स शुरू होने से पहले अधिकतर लड़कियों व महिलाओं को सिरदर्द, पेट में ऐंठन और दर्द की शिकायत होती है। पीरियड्स में ये सभी लक्षण होना सामान्य है। इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं, जेसे चिड़चिड़ापन,अनिद्रा,अधिक भूख लगना और वज़न बढ़ना,पेडू, पीठ व कमर में दर्द होना, पेडू पर दबाव पड़ना,मुंहासे होना, पेट फूलना, स्तनों में भारीपन महसूस होना,मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान महसूस होना, वॉटर रिटेंशन और सूजन आना, दर्द के कारण एकाग्रता में कमी होना।


भोजन तथा परहेज

              मासिक धर्म औरतों के स्वास्थ का एक अहम हिस्सा होता है, जिसके प्रति औरतों को अपने खानपान को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, नहीं तो औरतों के स्वास्थ पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। 

  • इसलीये महिलाओं को अपने मासिक धर्म के दौरान प्रोसेस्ड फूड या डिब्बों में बंद खाद्य पदार्थ खाने से परहेज करना चाहिए। 
  • केक और पेस्ट्री जैसे बेक किए हुए खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस तरह के भोजन में ट्रांसफैट बहुत ही अधिक मात्रा में पायी जाती है। यह खाद्य पदार्थ औरतों के शरीर में एस्ट्रोजेन के लेवल को बढ़ा देते हैं, जिससे गर्भाशय में दर्द हो सकता है।
  • पीरियड के दौरान चाय या कॉफी जैसे मादक पेयों के सेवन से भी बचना चाहिए, क्योंकि इन में कैफ़ेन बहुत ही अधिक मात्रा में पायी जाती है। यह इस दौरान होने वाले दर्द को बढ़ा देता है और अच्छी नींद आने में भी दिक्कत हो सकती है।
  • मासिक धर्म के दौरान सेनीटरी पैड का इस्तेमाल करें ​कपड़ा ना लें। एक बार सेनीटरी पैड को यूज कर लेने के बाद ज्यादा देर तक उससे पहन कर ना रखें। कई घंटे एक ही पैड यूज करने से इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए करीब 6 घंटों के बाद पैड बदल दें।
  • मासिक धर्म के दोरान हलका और शीर्घ पचने वाला आहार करे जादा थकावट भरा काम न करे फीर भी कई बार मासिक धर्म के दोरान पीडा, दर्द, कष्ट भोगना पडता है। इसी लीये इस समय कुछ प्रकृतीक दवाईयो का सेवन करना बेहद लाभ कारी साबीत होता है।
मासिक धर्म के लिए कूछ एक आयुर्वेदिक उपचार

  • मेथी ः  50 ग्रम मेथी के बीज और 40 ग्रम मूली के बीज कूट छान कर रख ले 2 ग्रम नियमित रुप से सेवन करने से मासिक धर्म से संबंधीत परेशानियां दूर हो जाती है।
  • तुलसी ः मासीक धर्म होने पर यदी कमर मे दर्द रहता है तो 1 छोटा चम्मच तुलसी के बीज रात को पनी  मे भीगोकर सुबह पीने से कमर दर्द नष्ट हो जाता है।  तुलसी के बीज,पलाश,छोटी पीपल,नागकेशर,अश्वगंधा और नीम पत्र समभाग लेकर कूट छान कर रख ले 2 चम्मच सूबह शाम 1 गीलास गोदुध मे मीलाकर जरूरत नुसा मिश्री मीलाकर सेवन करने से  मासिक धर्म नियमीत तथा खुलकर आता है।
  • बबूल ः 200 ग्रम बबूल की गोंद कड़ाही मे भून कर कूट छान कर रख ले। इस मेसे 2 चम्मच गोंद मिश्री के साथ सेवन करने से  मासिक धर्म की पीडा दूर होती है।
  • हल्दी ः गर्भाशय मे सूजन या कोई खराबी हो ,मासिक धर्म ठीक न होता हो तो 1 चम्मच हल्दी समभाग गु़ड को मीलाकर भुनकर खानी चाहीये।
  • अशोक ः अशोक के रूक्ष की छाल 10 ग्राम को 250 मिलीलीटर मे पकाकर थो़डा गाढा होने के बाद सेबन करने से महावरी संबंधीत परेशानीया दूर हो जाती है।
  • लहसुन ः अनीयमीत मासिक धर्म को ठीक करता है इसी लीये दो कली लहसुन रोज सूबह खाली पेट खाने चाहीये।
  • हींग ः आधा ग्रम हींग 1 कप पानी मे घोल कर यदी कुछ दीन सेवन कर लीया जाय तो मासिक धर्म के समय होने वाला दर्द समाप्त हो जाता है।
  • दालचीनी ः दालचीनी का सेवन करने से उल्टी, अजीर्न, पेट का दर्द, लार, और अफारा मीटता है। पीरीयड साफ करती है और गर्भाशय का संकुचन करती है।
  • नागरमोथा ः नागरमोथे को पीस कर आवश्कता नुसार गुड को मीलाकर गोलीया बना ले इन्हे सेवन करने से मासिक धर्म नीयमीत आने लगता है।
  • पपीता ः कच्चे पपीते को काले नमक के साथ सेवन करने से मासिक धर्म संबंधीत वीकार नष्ट हो जाते है। मासिक धर्म मे जादा दर्द होने के रोग मे भी लाभ होता है।


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