हल्दी के औषधीय गुण




हल्दी 

          भारत मे सबसे अधीक महत्वपूर्ण मसालो,दवाईयों और पुजनिय वस्तुवों मेसे एक, दिव्य हे हलदी। हलदी की महिमा जितनी कहे उतनी कम हि हैं। यह वहुत ही दिव्य जडी बूटी हैं। हल्दी जहां एक ओर खाने का स्वाद और रंग बढ़ा देती हैं, वहीं इसका उपयोग सौंदर्य वृद्धि और त्वचा की समस्याओं को दूर करने में भी किया जाता हैं इसके अलावा हल्दी शरीर को स्वस्थ रखने में भी बहुत सहायक हैं।  हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में जाना जाता हैं। ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम, टर्मरिक नाम दिए गए हैं। आयुर्वेद में हल्‍दी को एक महत्‍वपूर्ण और पवित्र औषधि‍ कहा गया हैं।
           अदरक की तरह हल्दी भी पौधे की कन्द की गांठों से प्राप्त होती हैं। एक विशेष क्रिया के द्वारा हल्दी में पर्याप्त रंग तथा गंध उत्पन्न की जाती हैं। पहले गांठों को पानी में तब तक उबाला जाता हैं, जब तक कि वह नरम न हो जाए। चटक रंग के लिए पानी को सोड़ा या चूना डालकर क्षारीय कर लिया जाता हैं। अच्छी तरह से पकी हुई गांठों को पालिश किया जाता हैं फिर इन्हें पीस कर हल्दी पाउडर बना लिया जाता हैं। करक्यूमिन नामक पिगमेंट के कारण हल्दी का रंग पीला होता हैं। 
              हल्दी तीखी,कडवी,रूखी,सूखी,गर्म और शरीर को निखार ने मे मदत करती हैं। हल्दी पित्त,त्वचा के रोग,खुन के रोग,मधुमेह,सूजन,पीलिया,कुष्ट,विष और पेट के किडे आदि रोगों को खत्म करती हैं। इसके अलवा भी विभिन्न रोगों में हल्दी से उपचार होता हैं।




त्वचा रोग 

              पीसी हुइ हल्दी तिल के तेल मे उबाल ले इससे मालिश करने पर चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। चमडी सुख जानेपर सरसो के तेल या घी मे थोडीसी हलदी मीलाकर मालिश करने पर लाभ होता हैं।



पेट फुलना


             पेट मे जब गैस भर जाती है तो  बहुत दर्द होता हैं। एसी स्थिती मे हल्दी और काला नमक 5-5 ग्राम की मात्रा मे पानी मे घोल कर पीला नेसे लाभ होता हैं। हल्दी के साथ काला मनुका, इन दोनों को मिलाकर लेने से भी गैस की समस्या, पेट में जलन, खट्टी डकारें, एसिडिटी से निजात मिलती हैं |

खासी 

          हल्दी और आंवले का रस 10 ग्राम मे शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से खांसी ठीक होती है। आधी चम्मच हल्दी को थोड़ासा भूनकर शहद के साथ लेने से गला बैठना या खांसी में तुरन्त लाभ होता है। सर्दी-खांसी होने पर दूध में कच्ची हल्दी पाउडर डालकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।


कैंसर की रोक थाम

             हल्दी के औषधीय गुणों का उपयोग केवल छोटे-मोटे रोगों को ही ठीक करना ही नही हैं, बल्कि हल्दी कैंसर जैसे जानलेवा रोग को दूर रखने में भी उपयोगी है क्योंकि इसमें एक विशेष प्रकार का अल्कलायड कर्कुमिन तत्व पाया जाता हैं, जो कैंसर विरोधी है। हल्दी के लगातार सेवन से शरीर में म्यूटाजेन का निर्माण नहीं होता। म्यूटाजेन शरीर की कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुँचाता है। कैंसर से बचने के लिए धोटा आधा चम्मच हल्दी प्रतिदिन एक बार पानी या दूध से सेवन करें।

 मुंह में छाले की समस्या              

             यदि आपके मुंह में छाले पड़ गए हो तो हल्के गुनगुने पानी में हल्दी मिलाकर कुछ देर तक तक अपने मुंह में रखने के बाद कुल्ला करें या हलका गर्म हल्दी पाउडर छालों पर लगाएं, इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।



दमा, साइनस,कफ

            हल्दी तथा हल्दी वाले दूध को पीने से श्वास संबंधी रोग जैसे दमा, साइनस, जमी हुई कफ आदि की समस्याओं को जड़ से ठीक करती हैं। धदकते अंगारो मे जरा सी हल्दी छीड कर धुवा लेनेसे छाती मे जमा कफ निकल जाता हैं।



प्रमेह

             दारूहल्दी में थोडी हल्दी डालकर काढा तयार कर ले उसमे 1 चम्मच शहद मिलाकर रोज रातको सोने से पहले पीनेसे प्रमेह रोग ठीक हो जाता हैं।



पेशाब के साथ पीव का आना

             पेशाब के साथ अगर मवाद निकलता होतो एेसे में आंवले के काढे में शहद और हल्दी को मिलाकर खाने से लाभ होता हैं।



कुष्ठ खाज-खुजली

               हरीदूब,हल्दी और दारूहल्दी को समभाग पीस कर लेप करने से खुजली दूर होती हैं। हरड,बावची,करंज के बीज,हल्दी,बायबि़डंग,सेंधानमक और सरसो को पीस कर खुजली,दाद, सफेद कुष्ट रोग ठीक हो जाती हैं।



बवासीर 
              हल्दी और पीसी हुई लौकी का चुर्ण सरसो के तेल में पका कर,उस तेल को मदार के पत्तो पर लगाकर बवासार के मस्सों पर लगाये और उपर से लंगोट बांद दे। इससे मस्से सुखकर गीर जाते हैं।


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