आंवला



आंवला

            भारत के पुजनिय पेडो की सुची मे आंवले का पेड भी धार्मिक द्रष्टिकोण से पवित्र माना गया हैं। आंवला विटामिन सी का सर्वोत्तम और प्राकृतिक स्रोत हैं। इसमें विद्यमान विटामिन सी आंवला सुक जानेपर पर भी नष्ट नहीं होता। आंवला दाह, पांण्डु रोग, रक्तपित्त, अरुचि, त्रिदोष, दमा, हृदय रोग, मूत्र विकार, खांसी, श्वास रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता हैं। वीर्य को पुष्ट करके पौरुषत्व बढ़ाता हैं, चर्बी घटाकर मोटापा दूर करता हैं। सिर के केशों को काले, लम्बे व घने बनाने के लिये इसके तेल को इतेमाल मे लाया जाता हैं।

विभिन्न भाषाओं में आंवले के नाम -    

           संस्कृत                            आमलकी,धात्री,शिवा।
           हिंन्दी                              आंवला,आंवरा,आमला।
           अंग्रेजी                             एमब्लिक माइरोबेलन,इंडियन गोसबेरी।
           बंगाली                             आमलकी,आमला,आंगला।
           मराठी                              आवळा,आवळाकाठी।
           गुजराती                           आंवला,आमला।
            लैटिन                              एमल्बिका अॉफिसिनेलिस।


           आंवला गुणों का भंडार हैं,जो आसानी से उपलब्‍ध होता हैं। इसके चमत्कारी गुणों के कारण इसे अमृत फल भी कहा जाता हैं। इसके अनेकों औषधीय लाभ भी हैं, आइए आंवले के ऐसे ही लाभों के बारे में जानें।






  रक्तपित्त (पित्त से उत्पन्न रक्तविकार) 

                  रक्तपित्त में खून की उल्टी होने के कारण यदि आमाशय में व्रण (घाव)  हो तो आंवले चूर्ण की 5 से 10 ग्राम की मात्रा को काले गुड के साथ देना लाभदायक होता हैं। नाक से खून बहने पर आंवला पावडर पानी मे भीगोकर सिर पर लेप लगाने से नाक से खून बंद हो जाता हैं।



  पित्तदोष

                 अनियमित यान-पान के चलते सिन मे जलन हो, तो एक चम्मच आंवले के चुर्ण को एक कप पानी मे घोल कर उसमे एक ग्राम काला नमक मिला कर पिनेसे लाभ होता हैं। 




योनि की जलन,खुजली ओर सूजन

                   एक कप पानी मे एक चम्मच आंवले के चुर्ण को घोल कर उसमे दो चम्मच शहद और एक चम्मच मिश्री मिलाकर पीने योनि की जलन समाप्त हो जाती हैं।



गर्भवती स्त्री को उल्टी होने पर

                    आंवले  के मुरंब्बे को दिन मे चार बार खिलाने से उल्टी बंद हो जती हैं। एक कप पानी मे एक चम्मच आंवले के चुर्ण को घोल कर उसमे एक चम्मच मिश्री मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जती हैं।




चक्कर आना

                    गर्मियो मे धुप मे घुमने से चक्कर आते हो तो आंवले का सरबत पीयें। 6 ग्राम आंवले के चुर्ण को समभाग धनये के चुर्ण को मिलाकर रात मे एक गिलास पनी मे रात मे भिगोकर काला गुड मिलाकर सुभह खाली पेट पिलाने से चक्कर आना बंद हो जाता हैं।




रक्तप्रदर

                  दो चम्मच आंवले के चुर्ण को 400 मिलीलीटर पानी में काढा बनाकर इससे योनि को धोने से रक्त प्रदर मे आराम मीलता हैं। 5 ग्राम आंवले के चुर्ण को 3 ग्राम मधु के साथ सेवन करने से रक्त प्रदर मे आराम मीलता हैं।




धातुवर्द्धक 

                 एक चम्मच घी में दो चम्मच आंवला रस मिलाकर दिनमे 3 से 4 बार 7 दिनों तक लेने से लाभ मिलता हैं।



पथरी की समस्या                 पथरी मे आंवला कारगर उपाय साबित होता है। पथरी होने पर 40 दिन तक आंवला चुर्ण को प्रतिदिन मूली के रस में मिलाकर खाएं। इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में पथरी गल जाती हैं।







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